Kunde Ki Niyaz – जब भी माहे रजब का चाँद नज़र आता है ! तो हमारे मन में एक ख़याल जरूर आता है ! क्यूंकि सोशल मीडिया पर इस तरह के मेसेज बार बार आते है जिसे पड़ कर हम सोचने पर मजबुर हो जाते है ! कुंडे की नियाज़ ( Kunde Ki Niyaz ) आखिर कब दिलवाई जाए !
और माहे रजब में *हजरत इमाम जाफर सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु* को ईसाले सवाब के लिए कूंडे की नियाज़ (Kunde Ki Niyaz) करते हैं ! क्या यह जाइज़ है ?
Kunde Ki Niyaz – कुंडे की नियाज़ की कहानी हिंदी में
अक्सर लोग *22 रजब को कूंडे की नियाज़ ( Kunde Ki Niyaz ) करते हैं ! और कहते हैं कि उस दिन *इमाम जाफर सादिक़ रदियल्लाहो अन्हु* का विसाल हुआ था। मगर यह गलत है।
हक़ीक़त यह है ! कि हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रदियल्लाहो अन्हु का विसाल *15 रजब को हुआ था न कि 22 रजब को*।
जहा तक नियाज़ो नज़र का मसअला है आप किसी भी तारीख में कर सकते है ! क्यूंकि 15 रजब आपकी विसाल की तारीख है तो 22 रजब को आपको गोसियत-ए-कुबरा अता किया गया ! इस लिहाज़ से आप इमाम जाफर सादिक रे.अ. की नियाज़ 22 रजब में कर सकते हो ! या 15 रजब और 22 रजब दोनों तारीखों में कर सकते हो !
कूंडे की नियाज़ की तारीख
22 रजब को *सहाबी-ए-रसूल हज़रत अमीरे मुआवियह रदियल्लाहु अन्हु* का विसाल हुआ है !
और शिया और राफजी लोग हज़रत अमीरे मुआविया के गुस्ताख ! ओर सख्त नफरत करते हैं ! तो शिया इस तारीख में हज़रत अमीरे मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु के विसाल की ख़ुशी में ईद मनाते हैं ! और सुन्नियों को धोका देने के लिये उसे हज़रत इमाम जाफर सादिक़ रज़ियल्लाहु अन्हु की नियाज़ कहते हैं ।
लिहाज़ा सुन्नी हज़रात पर लाज़िम है ! कि वह शियों की मुखालिफत से दूर रहें !
और जहा तक नियाज़ो नज़र का मसअला है आप किसी भी तारीख में कर सकते है ! क्यूंकि 15 रजब आपकी विसाल की तारीख है तो 22 रजब को आपको गोसियत-ए-कुबरा अता किया गया ! इस लिहाज़ से आप इमाम जाफर सादिक रे.अ. की नियाज़ दोनों तारीखों में कर सकते हो
और जिस तारीख में यानी 15 रजब को हज़रत इमाम जाफर सादिक का विसाल हुआ उस तारीख में भी आप इसाले सवाब करे !
वैसे तो पूरा महीना ही आप इसाले सवाब की गर्ज़ से फ़ातिहा ख़्वानी कर सकते है ! इसमें कोई हर्ज नहीं है ! बेशक़ अल्लाह तबारक़ व् तआला हमारी नियतो को देखता है ! और उसी हिसाब से हमें अज़्र मिलता है !
कुंडे की नियाज़ किन चीज़ो पर दिलाये ?
(1) इस फातिहा में कोई भी हलाल चीज़ पर फातिहा दिला सकते हैं ! ज़रूरी नहीं कि खीर पूरी ही बनाई जाए। बिरयानी,दही,मछली,गोश्त,चने,जलेबी,मिठाई हर हलाल चीज़ की नज़्र पेश की जा सकती है।
(2) नियाज़ का खाना दिन,रात,शाम,दोपहर किसी भी वक़्त बनाया और खिलाया जा सकता है।ज़रूरी नही कि सुबह या दिन का ही वक़्त हो।
(3) नियाज़ का खाना एक ही कमरे में खिलाया जाए ! दूसरे कमरे में या घर के बाहर नहीं ले जा सकते ! यह सब ख्याल बेहूदा और गलत है।*
(4) फातिहा का खाना बच जाये तो उसे दफन कर दिया जाए ! ऐसा करना हराम और गुनाह है। बचे हुए खाने को तक़सीम करना बिल्कुल जायज़ है। बल्कि बाइसे अज्र व सवाब है।*
(5) फातिहा एक साल की तो हर साल करना ज़रूरी है ! ऐसा मानना भी गलत है ! अगर अल्लाह ने हैसियत दी है ! तो हर साल हर बुजुर्ग की फातिहा करनी चाहिए ! किसी साल किसी जायज़ वजह से फातिहा न कराई तो कोई हर्ज नही ! लेकिन न कर पाए ! तो यह सोचना कि अब इमाम जाफर सादिक़ रज़ियल्लाहु अन्हु मुझसे नाराज़ हो जाएंगे और मेरे घर पर मुसीबत आ जायेगी ! ऐसा सोचना गलत है।
Kunde Ki Niyaz – Imam Jafar Sadiq Niaz Story
(6) हर साल नियाज़ में जो खाना पकाया,खिलाया वही खाना हर साल पकाना,खिलाना ज़रूरी नही।
(7) किसी मुसीबत आने पर यह कहना कि कूंडे की फातिहा में मैं ने ऐसा या वैसा खिलाया ! इस लिये यह मुसीबत आयी ! सख्त हराम है ! कि अपनी गैर शरई हरकत की मुसीबत या कोई और बात को इमाम जाफर सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु की तरफ मंसूब करते हैं।
अगर किसी मुसलमान ने कभी ज़िन्दगी में कूंडे की फातिहा न भी दिलाई हो तब भी सरकार इमाम जाफर सादिक़ रदि़यल्लाहु अन्हु उस की मदद फरमाते हैं।
(8) घर का बना हुआ खाना हो ! या सिर्फ हलवा हो ! या सिर्फ एक गिलास पानी ही क्यों न हो उस पर फातिहा पढ़ें और ज़रूर पढ़े ! कोई ज़रूरी नहीं कि जिस के घर पहले से होती आयी उसी के घर कूंडे की फातिहा (Kunde Ki Fatiha) हो। हर कोई करें।
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बेशक गैर जरूरी रस्म-व-रिवाज जो क़ायम हो चुके ! चाहे हमारे या किसी के बाप दादाओं ने किया हो ! इस्लाम से उन बातों का कोई लेना देना नहीं है।
अगर कोई मना करे तो घर के बुज़रुगों को प्यार से समझायें कि यह सब गलत बातें हैं ! जो अब हमें खत्म करनी हैं।
अल्लाह तआला हम सब को अपने हबीब सललल्लाहो अलैहि वसल्लम और तमाम सहाबाऐ किराम के सदके दीन की समझ बूझ अता फरमाये।
आमीन
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