Jumma Ki Namaz Ka Tarika in Hindi ( जुम्मा की नमाज़ पढ़ने का सही तरीका)

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जुम्मा की नमाज़ पढ़ने का सही तरीका – Jumma Ki Namaz Ka Sahi Tarika

इस्लाम में जुमे को ईद का दिन कहा गया है ! जुमे की नमाज़ ( Jumma Ki Namaz ) सभी को लाज़मी पढ़ना चाहिए ! ज़ुमा की हर घडी कीमती होती है ! इस दिन हमें कसरत से दरूद शरीफ पढ़ना चाहिए ! और दुआ करना चाहिए ! ज़ुमा के दिन ( Jumma Ke Din ) हम जो भी नमाज़ पढ़े उसमें वक़्त जुमे का ही कहलायेगा।

जुमे की दो रकअत फ़र्ज़ होती है ! और इस नमाज़ ( Jumma Ki Namaz ) को हम ज़ुहर के वक़्त अदा करते है ! मगर दिन जुमा होता है और जुमा की नमाज़ अदा करनी होती है ! इसलिए वक़्त भी जुमे का कहलाता है !

जुमा की नमाज़ ( Jumma Ki Namaz ) पढ़ने के लिए घर से जल्दी निकला करे ! क्यूंकि जुमा का खुत्बा सुन्ना वाजिब है ! जिसे सुन्ना जरुरी है !

Jumma Ki Namaz Ki Rakat

जुमे की नमाज़ ( Jumma Ki Namaz ) में 14 रकअत होती है ! 4 सुन्नत / 2 फ़र्ज़ / 4 सुन्नत/ 2 सुन्नत और 2 नफ़्ल !  आम दिनों में हम ज़ुहर के वक़्त 4  फ़र्ज़ की नियत करते है ! मगर जुमे के दिन 4 सुन्नत की नियत करेंगे !  2  रकअत फ़र्ज़ इमाम साहब के पीछे पढ़ेंगे ! बाकी नमाज़ खुद पढ़ेंगे !

नमाज़ पढ़ने का तरीका

यहाँ सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा ! जो और नमाज़ो का रहता है ! बस नियत के अल्फ़ाज़ बदलेंगे जो इस तरह से होंगे

नमाज़े ज़ुमा ( Jumma Ki Namaz  ) की चार सुन्नत पढ़ने का तरीका –

नमाज़े ज़ुमा ( Jumma Ki Namaz  ) की चार सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की !  वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुमा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर ।

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे।

सना के अल्फाज़ इस तरह है  *सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*

इसके बाद  *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े

इतना पढ़ने के बाद सुरह फातिहा पढ़े. सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत जो आपको याद हो वो पढ़े ! जब सुरह पूरी हो जाए तब अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुवे रुकू में जाए।

रुकू में घुटनो को हाथ की उंगलियों से मजबूत पकड़ ले घुटनो पर उंगलियाँ को फैला कर रखे

और इतना झुके कि सर और कमर बराबर हो जाये

रुकू में ही अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7  बार इत्मीनान के साथ पढ़े – *सुबहान रब्बी अल अज़ीम* रुकू में निगाह पैरो के अंगूंठो पर रखे।

Jumma Ki 4 Rakaat Sunnat Padhane Ka Tarika Namaz

इसके बाद *समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये.. इसके बाद रब्बना व लकल हम्द कहे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें ! सजदे में जाते वक़्त सबसे पहले हाथ घुटनो पर रखे फिर घुटने जमीन पर टिकाये फिर हाथ जमीन पर रखे !

उसके बाद नाक जमीन पर टेके फिर पेशानी जमीन पर जमाये ! और चेहरा दोनों हाथो के दरमियान रखे !  मर्द अपने हाथो की हथेलियाँ ही जमाये और कोहनी वगैरह ऊँची उठी हुई होना चाहिए। पेट को अपनी रानो से दूर रखे यानी जांघ से पेट ना छुए।  और दोनों पांव की उँगलियो के पेट क़िब्ला रुख ज़मीन पर जमे हुए हो

सज्दे में फिर अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7  बार इत्मीनान के साथ पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर सीधे बैठ जाए।  जब बैठे सीधे पेर की उंगलिया हिलनी नहीं चाहिए मतलब क़िबला रुख ही मुड़ी हुई हो और उलटे पैर को सीधे पैर की जानिब मोड़ के बैठे।

फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें. यहाँ फिर से उलटे पैर की ऊँगलीया क़िब्ला रुख करे।

सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह 3 या 5 या 7  बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

इस तरह आपकी एक (1 ) रकअत पूरी हो गयी

Jumma Ki Namaz

फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे आप खड़े हो जाएंगे ! और अपने हाथ बांध लेंगे ! फिर से अल्हम्दु शरीफ पढ़ेंगे उसके बाद कोई भी सूरत जो आपको याद हो वो पढ़ेंगे ! or फिर से वही अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएंगे ! फिर *समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये  इसके बाद ! रब्बना व लकल हम्द* कहे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें।

सज्दे में फिर से अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7  बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर बैठ जाए ! फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें.

सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह 3 या 5 या 7  बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहुअक्बर कहते हुवे बेठ जाए ! ( बैठने का तरीका पहली रकअत जैसा ही हो )  अब बैठे हुवे ही आपको अत्तहिय्यात पढ़ना है !

अत्तहिय्यात

*अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन*

अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू *

नोट- अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली इस तरह उठाना है ! की अंगूठा और बिच की सबसे बड़ी वाली उंगली के पेट दोनों मिलाना है ! और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।

पूरी अत्तहिय्यात पढ़ते ही तीसरी रकअत के लिए खड़े हो जाएंगे !

नोट- अगर अत्तहिय्यात के बाद दरूद शरीफ या दुआ पढ़ली तो सजदा सहु करना  होगा !

तीसरी चौथी रकअत में सिर्फ सूरह फातिहा पढ़नी है ! कोई और सूरह नहीं पढ़नी है ! जब चार रकअत पूरी हो जाए तो ! फिर से अत्तहिय्यात , दरूद और दुआ ए मसुरा पढ़े ! और सलाम फेरे ! पहले सीधे हाथ तरफ निगाहें कंधे की तरफ झुकी हुई हो ! फिर बायीं तरफ यानी उलटे हाथ के कंधे की जानिब निगाहें रखकर  सलाम फेरे !

सलाम के अल्फ़ाज़ – अस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह

इस तरह आपकी जुम्मा की ( Jumma Ki Namaz  ) की चार रकाअत सुन्नत मुकम्मल हो जायेगी।

नमाज़े ज़ुमा की दो फ़र्ज़ पढ़ने का तरीका – Jumma Ki 2 Farz Padhane Ka Tarika

नमाजे जुमा ( Jumma Ki Namaz  ) के दो फर्ज की नियत:- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फर्ज की ! वास्ते अल्लाह तआला के वक्त जुमा का ( पीछे इस इमाम के ) ! मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहुअकबर !  कहकर हाथ बाँध लेना है ! और सना पढ़ना है फिर इसके बाद  *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़ना है और इमाम  के पीछे खामोश रहकर इमाम को सुन्ना है !

नोट – सूरह फातिहा और कोई भी सूरह हमें सिर्फ खामोश रहकर सुन्ना है बाकी सारे अरकान इमाम के पीछे भी हमें पुरे करने है जैसे – रुकू की तस्बीह सजदे की तस्बीह और अत्तहिय्यात हमें भी पढ़ना होगी !

याद रहे इमाम से पहले कोई अरकान अदा  ना हो !

बाकी नमाज़ो की सिर्फ नियत बता रहे है क्यूंकि नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ ( Jumma Ki Namaz  ) का तरीका वही रहेगा !

नमाज़े ज़ुमा की चार सुन्नत पढ़ने का तरीका –

नमाजे ज़ुमा ( Jumma Ki Namaz  ) की चार सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त ज़ुमा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर ।

नमाज़े ज़ुमा ( Jumma Ki Namaz  ) की दो सुन्नत पढ़ने का तरीका –

नमाजे ज़ुमा ( Jumma Ki Namaz  ) की दो सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त ज़ुमा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर ।

नमाज़े ज़ुमा ( Jumma Ki Namaz  ) की दो नफ़्ल पढ़ने का तरीका –

नमाजे ज़ुमा ( Jumma Ki Namaz  ) की दो नफ़्ल की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुमा का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर

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