Fajar Ki Namaz ka Sahi Tarika ( फ़ज्र की नमाज़ पढ़ने का सही तरीका )

फ़ज्र की नमाज़ पढ़ने का सही तरीका – Fajar Ki Namaz ka Sahi Tarika

नमाज़े फज़र ( fajar ki namaz ) में 2 सुन्नत और 2 फर्ज मिलाकर 4 रक्आत होती है। नमाज़ के लिए सबसे पहले हमें क़िबला रुख खड़े होना है।

खड़े हम इस तरह होंगे की दोनों पैरो के दरमियान 4 इंच की गेप हो मगर मज़बूरी के तहत, अगर नमाज़ी थोड़ा मोटा हो तो एक बालिस की या 6 इंच की गेप रख सकता है।

उसके बाद हमें नमाज़ की निय्यत करना होती है फ़ज्र की नमाज़ ( fajar ki namaz ) की नियत इस तरह करेंगे।

Fajar Ki Namaz ka Sahi Tarika

नमाजे फज़र ( fajar ki namaz ) की दो सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त फ़ज्र का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर । ”

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे

सना के अल्फाज़ इस तरह है  *सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*

इसके बाद  *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े

इतना पढ़ने के बाद सुरह फातिहा पढ़े. सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत जो आपको याद हो वो पढ़े। जब सुरह पूरी हो जाए तब अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुवे रुकू में जाए।

रुकू में घुटनो को हाथ की उंगलियों से मजबूत पकड़ ले घुटनो पर उंगलियाँ को फैला कर रखे

और इतना झुके कि सर और कमर बराबर हो जाये

नमाज़े फ़ज्र की  सुन्नत पढ़ने का सही तरीका –

रुकू में ही अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7  बार इत्मीनान के साथ पढ़े – *सुबहान रब्बी अल अज़ीम* रुकू में निगाह पैरो के अंगूंठो पर रखे।

इसके बाद *समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये.. इसके बाद ‘रब्बना व लकल हम्द कहे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें ! सजदे में जाते वक़्त सबसे पहले हाथ घुटनो पर रखे फिर घुटने जमीन पर टिकाये फिर हाथ जमींन पर रखे !

उसके बाद नाक जमीन पर टेके फिर पेशानी जमीन पर जमाये ! और चेहरा दोनों हाथो के दरमियान रखे।  मर्द अपने हाथो की हथेलियाँ ही जमाये और कोहनी वगैरह ऊँची उठी हुई होना चाहिए। पेट को अपनी रानो से दूर रखे यानी जांघ से पेट ना छुए।  और दोनों पांव की उँगलियो के पेट क़िब्ला रुख ज़मीन पर जमे हुए हो

सज्दे में फिर अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7  बार इत्मीनान के साथ पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

नमाज़े फ़ज्र की  सुन्नत पढ़ने का सही तरीका –

फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर सीधे बैठ जाए।  जब बैठे सीधे पेर की उंगलिया हिलनी नहीं चाहिए मतलब क़िबला रुख ही मुड़ी हुई हो और उलटे पैर को सीधे पैर की जानिब मोड़ के बैठे।

फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें. यहाँ फिर से उलटे पैर की ऊँगलीया क़िब्ला रुख करे।

सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह 3 या 5 या 7  बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

इस तरह आपकी एक (1 ) रकअत पूरी हो गयी

फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे आप खड़े हो जाएंगे ! और अपने हाथ बांध लेंगे ! फिर से अल्हम्दु शरीफ पढ़ेंगे उसके बाद कोई भी सूरत जो आपको याद हो वो पढ़ेंगे ! or फिर से वही अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएंगे ! फिर *समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये  इसके बाद ! रब्बना व लकल हम्द* कहे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें।

Fajar Ki Namaz

सज्दे में फिर से अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7  बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर बैठ जाए

फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें.

सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह 3 या 5 या 7  बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहुअक्बर कहते हुवे बेठ जाए। ( बैठने का तरीका पहली रकअत जैसा ही हो )  अब बैठे हुवे ही आपको अत्तहिय्यात पढ़ना है

अत्तहिय्यात-

*अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन*

अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू *

नोट- अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली इस तरह उठाना है की अंगूठा और बिच की सबसे बड़ी वाली उंगली के पेट दोनों मिलाना है और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।

इसके बाद दरूदे इब्राहीम पढ़े

दरूदे इब्राहीम :-

*अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद.

अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद* सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम *

इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े

दुआ ए मसुरा :-
अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर ‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम

 

Note- दुआए मासुरा याद ना हो तो ये दुआ पढ़े

* अल्लाहुम्मा रब्बना आतयना फ़िद्दुनिया हसनतउ- व फिल आख़िरति हसनतउ व कीना अजाबन्नार *
 

इस दुआ पढ़ने के बाद आप सलाम फेर सकते हैं. ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहकर उलटे जानिब सलाम फेरें

सलाम:-

दाहिनी तरफ के सलाम में दाहिनी तरफ के फ़रिश्तो की नियत करे ! और बायीं तरफ के सलाम में बायीं तरफ के फ़रिश्तो की नियत करे –

नियत दिल के ईरादे का नाम है जुबान से कुछ न कहे।

दाहिनी तरफ के सलाम में दाहिनी तरफ के फ़रिश्तो और नमाज़ियों की नियत करे ! और बायीं तरफ के सलाम में बायीं तरफ के फ़रिश्तो और नमाज़ियों की नियत करे –

नमाज़े फ़ज्र की फ़र्ज़ पढ़ने का तरीका – Fazr Ki Namaz Ka Sahi Tarika

नमाजे फ़ज्र ( fajar ki namaz ) के दो फर्ज की नियत:- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फर्ज की, वास्ते अल्लाह तआला के वक्त फ़ज्र का ( पीछे इस इमाम के ) मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहुअकबर ।

[नोट- अगर ( fajar ki namaz ) अकेले पढ़े या नमाज़ घर पर पढ़े ! तो इमाम के पीछे ना कहे ! और फ़र्ज़ की नियत करके जैसी सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी वैसी ही फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े !  यहाँ हम फ़र्ज़ नमाज़ जमआत के साथ इमाम के पीछे पढ़ने का तरिका बता रहे है

इमाम साहब जब अल्लाहुअकबर कहके हाथ बांध ले तब हमें भी नियत करके हाथ बाँध लेना है।

नमाज़े फ़ज्र की फ़र्ज़ पढ़ने का तरीका – Fazr Ki Namaz Ka Sahi Tarika

हाथ बांध लेने के बाद आपको मन ही मन में सना पढ़नी है फिर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर चुप होकर इमाम साहब जो भी पढ़े उसे दिल लगाकर सुन्ना है

इमाम साहब सुरह फातिहा पढ़ेंगे सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे ,फिर जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए हम भी रुकू में चले जाएंगे

फिर इमाम साहब समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाएंगे तो हमें भी  ‘रब्बना व लकल हम्द ( मन में ) कहते हुवे खड़े हो जाना है ! फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है

नमाज़े फ़ज्र की फ़र्ज़ पढ़ने का तरीका – ( fajar ki namaz ) Ka Sahi Tarika

सजदे की तस्बीह पढ़े फिर अल्लाहुअकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी बेठ जाना है एक बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है

और सजदे की तस्बीह पढ़ना है  फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए खड़े हो जाएंगे तो हमें भी खड़े हो जाना है इस तरह एक रक् आत पूरी होगी ! और इसी तरह हमें दूसरी रकअत भी पूरी करना है

नमाज़े फ़ज्र की फ़र्ज़ पढ़ने का तरीका – Fajar Ki Namaz Ka Sahi Tarika

इमाम साहब फिर से सुरह फातिहा पढ़ेंगे सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे ! जिसे हमें गौर से सुन्ना है ! फिर से जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए ! हम भी रुकू में चले जाएंगे

फिर इमाम साहब समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाएंगे तो हमें भी  ‘रब्बना व लकल हम्द ( मन में ) कहते हुवे खड़े हो जाना है। फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है

Fajar Ki Namaz Ka Sahi Tarika

सजदे की तस्बीह पढ़े फिर अल्लाहुअकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी बेठ जाना है एक बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है

और सजदे की तस्बीह पढ़ना है ! उसके बाद इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए बैठ जाएंगे ! तो हमें भी बैठ जाना है ! फिर अत्तहिय्यात पढ़ना है ! दरूदे इब्राहीम पढ़ना है दुआ ए मसुरा पढ़ना है

उसके बाद जब इमाम साहब सलाम फेरे तो हमें भी सलाम फेर लेना है

इस तरह आपकी दो रक्आत फ़ज़्र की पूरी मुकम्मल होगी

नोट- याद रहे इमाम साहब के पीछे नमाज़ पढ़े तो कोई भी नमाज़ का अरकान इमाम साहब से पहले अदा ना करे ! इमाम के पीछे का मतलब ही यही होता है इमाम साहब अदा करले उसके बाद ही हमें अदा करना है।

 

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