Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika / Waqt / Namaze Tahajjud Ki Fazailat-Rakat-matlab
तौबा और दुआ की कबूलियत के औकात – मेरे प्यारे आका राल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम के प्यारे दीवानो ! सालभर में बाज औकात ऐसे होते हैं ! जब अल्लाह की रहमत पुकारती है ! कि है कोई पुकारने वाला कि उसकी पुकार सुनी जाए ! है कोई मांगने वाला कि उसका दामने मकसूद भर दिया जाए ! तो अगर कोई बंदा इन औकात में दुआ करता है ! तो उसकी दुआ बारगाहे यज़दी में मकबूल हो जाती है । रात का पिछला पहर जिसे उमूमन तहज्जुद का वक्त कहा जाता है!इस वक़्त आप तहज्जुद की नमाज़ ( Tahajjud Ki Namaz ) पढ़ सकते हो !
इस वक्त भी अल्लाह तबारक द तआला अपने बंदों की दुआ कुबूल फरमाता है ! और यह वक्त कुबूलियते दुआ का खास वक्त होता है ! जैसा कि अल्लाह के प्यारे हबीब साहिबे लौलाक सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया !
अल्लाह तबारक तआला रात के आखरी तिहाई हिस्से में आसमाने दुनिया की तरफ मुतवज्जह होता है ! और फरमाता है , ” हे कोई मांगने वाला जिसको मैं अता करूँ !” है कोई दुआ करने वाला जिसकी दुआ मैं कुबूल करुँ ! है कोई बख्शिश तलब करने वाला जिसे मैं बख्शदूं ! ” हत्ताकि सुबह हो जाती है ।
तहज्जुद भी पढ़ लें – Mahe Ramzan Me Tahajjud
मेरे प्यारे आका सल लल्लाहो अलैहि वसल्लम के प्यारे दीवानों ! नमाज़े तहज्जुद ( Tahajjud ) हुजूर रहमते आलम सल लल्लाहो अलैहि वसल्लमकी निहायत ही पसंदीदा सुन्नत है ,
आपने इस पर दवाम बरता है और निहायत ही पाबंदी के साथ इसको अदा फरमाया है । वैसे तो हमें भी इस सुन्नत की पाबंदी करने की हमेशा कोशिश करनी चाहिए ! लेकिन माहे रमज़ानुल मुबारक ( Ramzanul -Mubarak ) में उसकी अदायगी का हमारे पास बेहतरीन मौका है ।
और वह यह कि सहरी करने के लिए जब हम उठते हैं ! उससे चंद मिनट पहले उठ कर अल्लाह तआला की बारगाह में नमाज़े तहज्जुद ( Tahajjud ) की चंद रकआत पढ़ कर खिराजे बंदगी पेश कर दें । इंशा अल्लाहु तआला हमें उसकी बर्कत जरूर हासिल होगी ।
तहज्जुद का माअना – Tahajjud Ka Matlab
लफ्जे तहज्जुद ( Tahajjud ) हुजूद से बना है , माअना है ” कुछ देर सोना” बाबे तफाऊल में आकर इसमें सलथियत का माअना पैदा हो गया , जिसकी वजह से इसमें तर्के नींद यानी जागने का माअना पैदा हो गया है । इस माअना के लिहाज़ से नमाजे तहज्जुद इसलिए कहेंगे कि वह नींद से बेदार होकर पढ़ी जाती है ! यानी इसका वक्त एक नींद सोने के बाद होता है ।
नमाज़ तहज्जुद का वक्त- Tahajjud Ki Namaz Ka Waqt
नमाजे तहज्जुद ( Tahajjud Ki Namaz ) का वक्त नमाजे इशा के बाद से सहरी के वक्त के खत्म होने तक है ! मगर उसके लिए शर्त है ! कि रात में कुछ देर सो कर उठने के बाद ही उसे पढ़ सकते हैं ।
तहज्जुद की नमाज़ का तरीक़ा -Tahajjud Ki Namaz Ka Tarika
हज़रत इब्ने उमर रदियल्लाहो तआला अन्हो बयान फरमाते है ! कि एक शख्स ने रसूलुल्लाह सल लल्लाहो । अलैहि वसल्लम से नमाज़े तहज्जुद ( Tahajjud Ki Namaz ) की रकआत के बारे में सवाल किया ! तो आपने फ़रमाया , दो दो रकअत पढ़ोः
( बुख़ारी : ज . स . 153 )
हज़रत इब्ने उमर रदियल्लाहो तआला अन्हो से पूछा गया , दो-दो रकअत का क्या मतलब है ? तो उन्होंने फरमाया , हर दो रकअत के बाद सलाम फैर दो ।
अल्लाह के प्यारे हबीब रहमते आलम सल लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने मजकूरा हदीस में रकआत की तादाद को किसी अदद के साथ मुकैयद न फरमाया ! फक्त इतनी वजाहत फरमाई कि दो-दो रकअत पढ़ी जाए ! कम अज़ कम हमें दो रकअत तो पढ़ ही लेनी चाहिए ! और अगर अल्लाह तौफीक दे तो चार , छ : आठ या जितनी रकआत मुमकिन हों पढ लें ।
नमाज़े तहज्जुद का फायदा-Namaze Tahajjud Ka Fayda
तहज्जुद ( Tahajjud Ki Namaz ) की नमाज़ अगर हम नमाज़ फज़र से कुछ देर पहले पढ़ें तो इसका हमें एक बहुत ही एहम फायदा मैयस्सर आएगा ! वह यह कि वह वक्त फरिश्तों की ड्यूटी के बदलने का होता है ! क्योंकि कुछ फरिश्ते सुबह फज़र से असर तक जमीन पर रहते हैं ! और कुछ फरिश्ते असर से फज़र तक ।
इसी लिए अल्लाह तआला ने जहां नमाज़ो की मुहाफिजत का जिक्र फरमाया ! वहां नमाज़े असर का खुसुसी जिक्र फरमाया ! जैसा कि फरमाने बारी तआला है ! नमाज़ की मुहाफिजत करो ! और खुसूसन बीच वाली असर की ।
तो जब हम तहज्जुद ( Tahajjud Ki Namaz ) की नमाज़ पढ़ेगें ! तो दिन और रात के दोनों फरिश्तें हमें मस्रूफे इबादत देखेंगे ! और दोनों के रजिस्टर में हमारी इबादत लिखी जाएगी । जैसा कि नबी करीम सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने इरशाद आखिर शब में नमाज़ पढ़ी जाए ! वह फरिश्तों की हाजरी का वक्त है ।
तहज्जुद की रकआत को लंबी करो-Tahajjud Ki Rakaat
हजरत जाबिर रदियल्लाहो तआला अन्हो कहते हैं ! कि रसूल सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमाया : वह नमाज़ ज्यादा फजीलत वाली है ! जिसमें कयाम लंबा हो । मेरे प्यारे आका सल – लल्लाहो अलैहि वसल्लम के प्यारे दीवानो ! इसमें हिकमत यह है ! कि हम कयाम जितना लंबा करेंगे ! उतनी ज्यादा कुरआन करीम की आयतें तिलावत करेंगें !
कुरआने करीम के हर एक लफ्ज़ पर दस नेकियां हमारे नाम – ए – आमाल में लिखी जाएंगी । इस तोर पर हम ढेर सारी नेकियां अपने दामन में जमा कर सकेगें ! जो कि कयामत के होलनाक दिन में हमारे काम आ सकेंगी ।
ये भी पढ़े |
रमजान के रोज़े रखने के फायदे |
रोज़ा की नियत कैसे करे |
रोज़ा की इफ्तारी कैसे करे |
तरावीह की नमाज़ का तरीका |