ईद की तकबीर ( तकबीर-ए-तशरीक )

 

Eid Ki Takbeer – तकबीरे तशरीक़
तक़बीरे तशरीक़ { Takbeer e Tashreeq } 9 जिल हिज्ज की फ़ज़्र से 13 जिलहिज्जा की अस्र तक हर फर्ज जमाअत के बाद बा आवाजे बुलंद कहना चाहिये ! हज़रत अली कर्रमल्लाहो वजहहु का यही दस्तूर था ! हज़रत नबी करीम सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम और हज़रत सहाब-ए-क़िराम इसकी बडी पाबंदी करते थे !

लफ़्ज़े तकबीरे तशरीक़ – Eid Ki Takbeer Ya Takbeer e Tashreeq

अल्लाहो अकबर अल्लाहो अकबर लाइलाहा इल्लल्लाहो वल्लाहू अकबर, अल्लाहु अकबर व लिल्लाहिल हम्द !

इसकी {Takbeer e Tashreeq Ki } गैर मामूली अहमियत का अन्दाज़ा इससे किया जा सकता है ! कि इसमें हज़रत इब्राहीम, हज़रत इस्माईल और हज़रत जिव्रईल अलैहिस्सलाम के कलिमात का मज़मूआ है !

मनकूल है कि जब हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम को लिटाकर उनके गले पर छुरी फेरने का इरादा किया ! तो अल्लाह पाक ने हज़रत जिब्रईंल अलैहिस्सलाम को हुक्म दिया ! कि जन्नत से एक दुम्बा लेकर इब्राहीम अलैहिस्सलाम के पास हाजिर हो ! ताकि वह अपने बेटे की जगह उसकी कुरबानी करे !

हज़रत जिब्रईल अलैहिस्सलाम ने देखा कि वह अपने बेटे को लिटा चुके हैँ ! और छुरी फेरने ही वाले हैँ तो उन्होंने बा आबाज बुलंद अल्लाहो अकबर अल्लाहो अकबर कहा ! ताकि उनकी तवज्जोह इधर हो जाए और छुरी फेरने में जल्दी न करें !

हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने जब ये सुना तो उनको ख्याल हुआ कि हज़रत जिब्रईल शायद बारगाहे खुदावंदी से कोइ बशारत लेकर आ रहे हैं तो खुशी में फ़रमाया – ला इलाहा इल्लल्लाहो वल्लाहो अकबर जब हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम ने ये दोनों आवजें सुनी तो उनको ख्याल हुआ कि शायद अल्लाह पाक की जानिब से उनका फिदया भेजा गया है ! तो उन्होंने फ़रमाया अल्लाहो अकबर व लिल्लाहिल हम्द !

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