Rajab Ke Roza Ki fazilat;-अस्सलामुअलैकुम इस पोस्ट में पढ़ेंगे हम रजब महीने के रोज़े की फ़ज़ीलत
एक मरतबा हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम एक पहाड़ के करीब से गुज़रे जिसमे से नूर निकल रहा था !आप ने रब से दुआ की कि ये पहाड़ मुझसे कलाम करे !
आप के इतना कहते ही पहाड़ ने आपसे पूछा कि आप क्या चाहते हैं ! तो आप अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया कि तेरी ये चमक दमक कैसे है ! इस पर वो बोला कि मेरे अंदर एक मर्दे खुदा मौजूद है जिसकी ये बरक़त है !
Rajab Mahine Ke Roza Ki Fazilat
फिर आप अलैहिस्सलाम ने रब से दुआ की ! कि उस मर्दे खुदा को ज़ाहिर फरमा तो पहाड़ फट गया ! और वो बुज़ुर्ग ज़ाहिर हुए उन्होंने कहा कि मैं हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की क़ौम से हूं ! मैंने रब से दुआ की थी कि मैं हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम का दौर भी पाऊं ! ताकि मैं उनकी उम्मत में शामिल हो सकूं !
तो मैं अब तक 600 साल से इस पहाड़ के अंदर इबादत में मशगूल हूं ! तब हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से पूछा कि ऐ मौला क्या रूए ज़मीन पर इससे बढ़कर बुज़ुर्ग भी कोई शख्स मौजूद है !
तो रब तआला इरशाद फरमाता है ! की ऐ ईसा, उम्मते मुहम्मदिया का जो फर्द भी माहे रजब का एक रोज़ा रख लेगा तो वो मेरे नज़दीक इससे भी बढ़कर बुज़ुर्ग होगा सुब्हान अल्लाह सुब्हान अल्लाह
नुज़हतुल मजालिस,जिल्द 1,सफह 130
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