namaz ka tarika in hindi ( नमाज़ का सही तरीका हिन्दी में )

Namaz Ka Tarika in Hindi- अस्सलामो अलयकुम रहमतुल्लाहि व बरकवातोहू ! भाइयो इस पोस्ट में हमने नमाज़ पढ़ने का सही तरीका (namaz ka tarika in hindi) हिन्दी में बताने की कोशिश की है ! कुछ टाइपिंग मिस्टेक हो तो मुआफ करे।

हुजूरे अकरम सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की नमाज़ मेरी आँखों की ठंडक है ! तो नबीये पाक के सच्चे उम्मती बनने का सबूत दीजिये और नमाज़ कायम कीजिये मस्जिदों को आबाद कीजिये !

Namaz Ka Tarika in Hindi-

आज मुसलमान इतना परेशान इसलिए है की वो घंटो मोबाइल में व्यस्त रहता है ! मगर नमाज़ के लिए वक़्त नहीं निकाल पाता ।

नमाज़ पढ़ने के यह फायदे है की नमाज़ पढ़ने वाले की दुनिया और आख़िरत दोनों खूबसूरत हो जाती है ! नमाज़ पढ़ने का तरीका (namaz ka sahi tarika in Hindi ) बताने से पहले आईये कुछ ख़ास बाते जान लेते है जो बहुत जरुरी है !




* शराइते नमाज़ यानी नमाज़ की शर्ते :-

नमाज़ की कुछ शर्ते हैं. जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती. कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है,

तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है. तो कुछ शर्तो का नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है, नमाज़ की कुछ शर्ते इस तरह से है.

1. तहारत यानी नमाज़ी का बदन और कपड़ो का पाक होना:- नमाज़ (Namaz) पढने के लिए जिस्म पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है जिस्म पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. बदन पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो गुस्ल कर के नमाज़ (Namaz) पढनी चाहिए. हर नमाज़ (Namaz) से पहले वुजू जरूर बनाये ।

इसी तरह नमाज़ (Namaz) पढने के लिए जिस्म पर पहने हुआ ! कपडे पूरी तरह से पाक-साफ़ होना ज़रूरी है. कपडो पर कोई नापाकी नहीं लगी होनी चाहिए.

कपडे पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो कपडा धो लेना चाहिए या दूसरा कपडा पहन कर नमाज़ (Namaz) पढ़ लेनी चाहिए.

2. जहाँ नमाज़ पढे उस जगह का पाक होना- नमाज़ पढने के लिए जिस जगह पर नमाज (Namaz) पढ़ी जा रही हो वो जगह पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है. जगह पर अगर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो जगह धो लेनी चाहिए या दूसरी जगह नमाज़ (Namaz) पढ़ लेनी चाहिए.

3. बदन के सतर का छुपा हुआ होना – यानी जिस्म का वो हिस्सा जिसका छिपाना फ़र्ज़ है ! जैसे मर्द के लिए घुटने से नाफ तक का हिस्सा छिपा हुआ हो ! और औरत के हाथ पांव और चेहरे के अलावा पूरा बदन ढका हुआ हो।

नाफ़ के निचे से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर कहा जाता है. नमाज़ (Namaz) में मर्द का यह हिस्सा अगर दिख जाये तो नमाज़ (Namaz) सही नहीं मानी जा सकती

4. इस्तिक़बाले क़िब्ला यानी मुह और सीना किबले की तरफ होना !

5. वक़्त यानी नमाज़ (Namaz) का वक्त होना:-कोई भी नमाज़ पढने के लिए नमाज़ का वक़्त होना ज़रूरी है. वक्त से पहले कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती. और वक़्त के बाद पढ़ी गयी नमाज़ कज़ा नमाज़ मानी जाएगी.

6. नियत करना :- यानि नमाज़ (Namaz) का इरादा करना, दिल के पक्के इरादे का नाम नियत हे , ज़ुबान से कह लेना मुस्तहब है

फ़ायदा – नमाज़ (Namaz) शुरू करने से पहले इन शर्तो का होना ज़रूरी है। वरना नमाज़ (Namaz) नहीं होगी !

फराइज़े नमाज :- नमाज़ के 7 फ़राइज़ है

1. तकदीरे तहरीमा यानी अल्लाहु अकबर कहना
2 . क़याम यानी सीधे खड़े होकर नमाज पढ़ना फर्ज वित्र सुन्नते फज़्र ईदेन की नमाज में कयाम फर्ज है सही उज्र के बगैर यह नमाजे बैठकर पड़ेगा तो नहीं होगी नफिल नमाज में क़याम फर्ज नहीं
3. किरत मुतलकन एक आयत पढ़ना फर्ज की दो रकातो में और वित्र व नवाफिल की हर रकात में फर्ज है मुक्तदी को किसी नमाज में कीरत फर्ज नहीं
4. रुकू करना नंबर
5. सजदा करना नंबर
6. कअदा अखीरा यानी नमाज पूरी करके आखरी अत्तहियात में बैठना
7. खुरुजे बेसुंएही यानी दोनों तरफ सलाम फेरना इन फर्ज़ो में से एक भी रह जाए तो नमाज नहीं होती ( सजदे सहु करने से भी नहीं )

 

वाजिबातें नमाज़ :-

  • फ़र्ज़ की दो पहली रकात में और बाकी नमाज़ो की हर रकात में एक बार पूरी अल्हम्दु पढ़ना ( सूरह फातिहा )
  • इसके बाद फर्ज नमाज़ की पहली 2 रकातों में और वित्र व सुन्नत व नफ़्ल की हर रकात में छोटी सूरत या तीन छोटी आयतें या वह एक आयत जो तीन छोटी आयतों के बराबर हो पढ़ना
  • कौमा यानि रुकू के बाद सीधा खड़ा होना
  • जल्सा यानी दोनों सजदों के दरमियान सीधा बैठना
  • कअदाउला यानि 3 या 4 रकात वाली नमाज़ में दो रकातों के बाद बैठना । दोनों कअदो में तशह्हुद ( अत्तहियात ) पढ़नाकअदाउला में तशह्हुद पर कुछ ना पढ़ना। इमाम जब कीरत करें बलन्द आवाज़ से या आहिस्ता से तो उस वक्त मुक्तदी का चुप रहना सिवाय कीरत के तमाम वाज़िबात में इमाम की मुताबिअत करना तरतीब कायम रखना।
  • तमाम अरकान सुकूनो इत्मीनान से अदा करना। इमाम को फ़ज़्र मग़रिब ईशा जुमा ईदेन तरावीह और रमज़ान की वित्र में आवाज़ से किरत करना ज़ुहर असर में आहिस्ता किरत करना ईदेन नमाज़ में छः तक्बीरे ज़ाईद कहना
  • फ़ाएदह : नमाज़ के वाजिबात में से अगर कोई वाजिब भूले से रह जाए तो सज्दए सहु करने से नमाज़ दुरुस्त हो जायेगी , वरना उस नमाज़ को लौटाना वाजिब है। मतलब दौबारा पढ़ना जरुरी है।

* वजू का तरीका

# गुस्ल का तरीका

Namaz Ka Sahi Tarika in Hindi – नमाज़ का सही तरीका

नमाज़ का तरीका बहुत ही आसान है. नमाज़ या तो 2 , या 3 या 4 रक’आत की की होती है। एक रक’आत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है। नमाज़ का तरीका कुछ इस तरह है –

फ़ज्र की नमाज़ पढ़ने का सही तरीका – Fazr ki Namaz ka Sahi Tarika in hindi

नमाज़े फज़र में 2 सुन्नत और 2 फर्ज मिलाकर 4 रक्आत होती है। नमाज़ के लिए सबसे पहले हमें क़िबला रुख खड़े होना है।

खड़े हम इस तरह होंगे की दोनों पैरो के दरमियान 4 इंच की गेप हो मगर मज़बूरी के तहत, अगर नमाज़ी थोड़ा मोटा हो तो एक बालिस की या 6 इंच की गेप रख सकता है।

उसके बाद हमें नमाज़ की निय्यत करना होती है फ़ज्र की नमाज़ की नियत इस तरह करेंगे।

नमाज़े फ़ज्र की सुन्नत पढ़ने का सही तरीका
नमाजे फज़र की दो सुन्नत की निय्यत”
नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त फ़ज्र का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ।
अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे !
सना के अल्फाज़ इस तरह है
*सुबहाना कल्ला हुम्मा व बिहम्दिका व तबारा कस्मुका व त’आला जद्दुका वला इलाहा गैरुका*
इसके बाद *अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम.* पढ़े
इतना पढ़ने के बाद सुरह फातिहा पढ़े. सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत जो आपको याद हो वो पढ़े। जब सुरह पूरी हो जाए तब अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुवे रुकू में जाए।
रुकू में घुटनो को हाथ की उंगलियों से मजबूत पकड़ ले घुटनो पर उंगलियाँ को फैला कर रखे ! और इतना झुके कि सर और कमर बराबर हो जाये
रुकू में ही अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7 बार इत्मीनान के साथ पढ़े – *सुबहान रब्बी अल अज़ीम* रुकू में निगाह पैरो के अंगूंठो पर रखे।

रुकू में ही अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7 बार इत्मीनान के साथ पढ़े – *सुबहान रब्बी अल अज़ीम* रुकू में निगाह पैरो के अंगूंठो पर रखे।
इसके बाद *समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये.. इसके बाद ‘रब्बना व लकल हम्द कहे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें ! सजदे में जाते वक़्त सबसे पहले हाथ घुटनो पर रखे फिर घुटने जमीन पर टिकाये फिर हाथ जमींन पर रखे !
उसके बाद नाक जमीन पर टेके फिर पेशानी जमीन पर जमाये ! और चेहरा दोनों हाथो के दरमियान रखे। मर्द अपने हाथो की हथेलियाँ ही जमाये और कोहनी वगैरह ऊँची उठी हुई होना चाहिए। पेट को अपनी रानो से दूर रखे यानी जांघ से पेट ना छुए। और दोनों पांव की उँगलियो के पेट क़िब्ला रुख ज़मीन पर जमे हुए हो
सज्दे में फिर अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7 बार इत्मीनान के साथ पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*
फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर सीधे बैठ जाए। जब बैठे सीधे पेर की उंगलिया हिलनी नहीं चाहिए मतलब क़िबला रुख ही मुड़ी हुई हो और उलटे पैर को सीधे पैर की जानिब मोड़ के बैठे।
फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें. यहाँ फिर से उलटे पैर की ऊँगलीया क़िब्ला रुख करे।
सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह 3 या 5 या 7 बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*
इस तरह आपकी एक (1 ) रकअत पूरी हो गयी

 

फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे आप खड़े हो जाएंगे ! और अपने हाथ बांध लेंगे ! फिर से अल्हम्दु शरीफ पढ़ेंगे उसके बाद कोई भी सूरत जो आपको याद हो वो पढ़ेंगे ! or फिर से वही अल्लाहु अकबर कहते हुवे रुकू में जाएंगे ! फिर *समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये इसके बाद ! रब्बना व लकल हम्द* कहे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें।

सज्दे में फिर से अल्लाह की ये तस्बीह 3 या 5 या 7 बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहु-अकबर कहते सजदे से उठकर बैठ जाए

फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुवे सज्दे में जायें.

सज्दे में फिर से अल्लाह की वही तस्बीह 3 या 5 या 7 बार पढ़े *सुबहान रब्बी अल आला*

फिर अल्लाहुअक्बर कहते हुवे बेठ जाए। ( बैठने का तरीका पहली रकअत जैसा ही हो ) अब बैठे हुवे ही आपको अत्तहिय्यात पढ़ना है

अत्तहिय्यात-
*अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन*अशहदु अल्ला इलाहा इल्ललाहू व अशहदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसुलहू *

 

नोट- अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली इस तरह उठाना है ! की अंगूठा और बिच की सबसे बड़ी वाली उंगली के पेट दोनों मिलाना है और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है। इसके बाद दरूदे इब्राहीम पढ़े

दरूदे इब्राहीम :-
*अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद.
अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद* सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम *

 

इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े

दुआ ए मसुरा :-
अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर ‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम

 

Note- दुआए मासुरा याद ना हो तो ये दुआ पढ़े

* अल्लाहुम्मा रब्बना आतयना फ़िद्दुनिया हसनतउ- व फिल आख़िरति हसनतउ व कीना अजाबन्नार *

इस दुआ पढ़ने के बाद आप सलाम फेर सकते हैं. ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहकर उलटे जानिब सलाम फेरें

सलाम:-
दाहिनी तरफ के सलाम में दाहिनी तरफ के फ़रिश्तो की नियत करे और बायीं तरफ के सलाम में बायीं तरफ के फ़रिश्तो की नियत करे –

नियत दिल के ईरादे का नाम है जुबान से कुछ न कहे।

दाहिनी तरफ के सलाम में दाहिनी तरफ के फ़रिश्तो और नमाज़ियों की नियत करे और बायीं तरफ के सलाम में बायीं तरफ के फ़रिश्तो और नमाज़ियों की नियत करे –

इस तरह फज़र की दो सुन्नत मुक़म्मल होगी !

नमाज़े फ़ज्र की फ़र्ज़ पढ़ने का तरीका – Fazr Ki Namaz Ka Sahi Tarika in Hindi

नमाजे फ़ज्र के दो फर्ज की नियत:- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फर्ज की, वास्ते अल्लाह तआला के वक्त फ़ज्र का ( पीछे इस इमाम के ) मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहुअकबर ।

[नोट- अगर अकेले पढ़े या नमाज़ घर पर पढ़े तो इमाम के पीछे ना कहे और फ़र्ज़ की नियत करके जैसी सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी वैसी ही फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े ] यहाँ हम फ़र्ज़ नमाज़ जमआत के साथ इमाम के पीछे पढ़ने का तरिका बता रहे है

इमाम साहब जब अल्लाहुअकबर कहके हाथ बांध ले तब हमें भी नियत करके हाथ बाँध लेना है।

हाथ बांध लेने के बाद आपको मन ही मन में सना पढ़नी है फिर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर चुप होकर इमाम साहब जो भी पढ़े उसे दिल लगाकर सुन्ना है

इमाम साहब सुरह फातिहा पढ़ेंगे सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे फिर जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए हम भी रुकू में चले जाएंगे

फिर इमाम साहब समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाएंगे तो हमें भी ‘रब्बना व लकल हम्द ( मन में ) कहते हुवे खड़े हो जाना है। फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है

सजदे की तस्बीह पढ़े फिर अल्लाहुअकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी बेठ जाना है एक बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है

और सजदे की तस्बीह पढ़ना है फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए खड़े हो जाएंगे तो हमें भी खड़े हो जाना है इस तरह एक रक् आत पूरी होगी ! और इसी तरह हमें दूसरी रकअत भी पूरी करना है

इमाम साहब फिर से सुरह फातिहा पढ़ेंगे सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे जिसे हमें गौर से सुन्ना है फिर से जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए हम भी रुकू में चले जाएंगे

फिर इमाम साहब समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाएंगे तो हमें भी ‘रब्बना व लकल हम्द ( मन में ) कहते हुवे खड़े हो जाना है। फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है

सजदे की तस्बीह पढ़े फिर अल्लाहुअकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी बेठ जाना है एक बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है

और सजदे की तस्बीह पढ़ना है उसके बाद इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए बैठ जाएंगे तो हमें भी बैठ जाना है फिर अत्तहिय्यात पढ़ना है दरूदे इब्राहीम पढ़ना है दुआ ए मसुरा पढ़ना है ! उसके बाद जब इमाम साहब सलाम फेरे तो हमें भी सलाम फेर लेना है

इस तरह आपकी दो रक्आत फ़ज़्र की पूरी मुकम्मल होगी

नोट- याद रहे इमाम साहब के पीछे नमाज़ पढ़े तो कोई भी नमाज़ का अरकान इमाम साहब से पहले अदा ना करे इमाम के पीछे का मतलब ही यही होता है ! इमाम साहब अदा करले उसके बाद ही हमें अदा करना है।

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ज़ुहर की नमाज़ पढ़ने का तरीका – Zuhar Ki Namaz Ka Sahi Tarika

 

ज़ुहर की नमाज़ में 12 रकअत होती है 4 सुन्नत 4 फ़र्ज़ 2 सुन्नत और 2 नफ़्ल। यहाँ सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा

नमाज़े ज़ुहर की चार सुन्नत पढ़ने का तरीका –

 

नमाजे ज़ुहर की चार सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर । “

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह फ़ज़्र की दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत पूरी करेंगे दूसरी रकअत में दूसरे सजदे के बाद जब बैठेंगे तो सिर्फ अत्ताहियात पढ़कर फिर खड़े हो जाएंगे।

इस रक’अत में सिर्फ सुरह फातिहा और कोई भी सूरह पढ़ेंगे जो भी याद हो ! और रुकू के बाद दो सज्दे कर के चौथी रक’आत के लिए खड़े हो जाये. चौथी रक’अत में भी सुरह फातिहा और कोई भी सूरह पढ़ेंगे जो भी याद हो! और रुकू और सजदा करे !

फिर तशहुद में बैठें. तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें। इस तरह आपकी ज़ुहर की चार रकाअत मुकम्मल हो जायेगी !

नमाज़े ज़ुहर की चार फ़र्ज़ पढ़ने का तरीका –

 

नमाजे ज़ुहर की चार फ़र्ज़ की निय्यत” -नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का, पीछे इस इमाम के , मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ”

[नोट- अगर अकेले पढ़े या नमाज़ घर पर पढ़े तो इमाम के पीछे ना कहे और फ़र्ज़ की नियत करके जैसी सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी वैसी ही फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े ] यहाँ हम फ़र्ज़ नमाज़ जमआत के साथ इमाम के पीछे पढ़ने का तरिका बता रहे है

इमाम साहब जब अल्लाहुअकबर कहके हाथ बांध ले तब हमें भी नियत करके हाथ बाँध लेना है !

हाथ बांध लेने के बाद आपको मन ही मन में सना पढ़नी है फिर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर चुप होकर खड़े रहना है निगाह सजदे की जगह हो

अब इमाम साहब मन ही मन में सुरह फातिहा पढ़ेंगे सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे । जिसकी आवाज़ हमें नहीं आएगी।

हमें सिर्फ चुपचाप खड़े रहना फिर जैसे ही इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहके रुकू में जाए हम भी रुकू में चले जाएंगे फिर इमाम साहब समीअल्लाहु लिमन हमीदह * कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाएंगे तो हमें भी ‘रब्बना व लकल हम्द ( मन में ) कहते हुवे खड़े हो जाना है !

फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है सजदे की तस्बीह पढ़े फिर अल्लाहुअकबर कहके इमाम साहब बैठेंगे तो हमें भी बेठ जाना है

एक बार फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए सजदे में जाएंगे तो उनके पीछे पीछे हमें भी सजदे में जाना है और सजदे की तस्बीह पढ़ना है

फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए खड़े हो जाएंगे तो हमें भी खड़े हो जाना है इस तरह एक रक् आत पूरी होगी ! और इसी तरह हमें दूसरी रकअत भी पूरी करना है..

दो रक’आत नमाज़ पढने के बाद तशहुद में सिर्फ अत्तहियात पढ़ ले ! और फिर इमाम साहब अल्लाहुअकबर कहते हुए तीसरे रक’अत पढने के लिए उठ कर खड़े हो जाएंगे ! तो हमें भी खड़े हो जाना है ! इमाम के पीछे बाकि की दो रकाअत में भी हमें खामोश रहना है ! और जैसे जैसे इमाम साहब पढ़ेंगे ! वैसे ही उनके पीछे हमें नमाज़ पढ़नी है

रुकू के बाद दो सज्दे कर के चौथी रक’आत के लिए खड़े हो जायेगे ! चौथी रक’अत भी वैसे ही पढ़े ! जैसे तीसरी रक’आत पढ़ी गई है ! चौथी रक’अत पढने के बाद तशहुद में बैठें ! तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर सिखाया गया है और अत्ताहियात, दरूद और दुआ ए मसुरा पढने के बाद इमाम साहब सलाम फेरेंगे तो हमें भी उनके बाद सलाम फेरना है।

इस तरह ज़ुहर की चार फ़र्ज़ नमाज़ मुकम्मल हो गई।

नोट – हां अगर अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो पहली दो रकअत में सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ेंगे जो भी याद हो ! और बाद की दो रकाअत में सिर्फ सुरह फातिहा पढ़ेंगे !

नमाज़े ज़ुहर की दो सुन्नत पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े ज़ुहर की दो सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़! अल्लाहु-अकबर । ”

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह फ़ज़्र की दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत पूरी करेंगे

नमाज़े ज़ुहर की दौ नफ़्ल पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े ज़ुहर की दो नफ़्ल की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ निफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुहर का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर । “

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह ज़ुहर की दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत नफ़्ल पूरी करेंगे।

और इस तरह ज़ुहर की 12 रकआत मुकम्मल होगी।

Asar Ki Namaz Ka Tarika In Hindi-

 

असर की 4 रकाअत नमाज़ सुन्नत पढ़ने का तरीका –

नमाज़े असर में 8 रकअत होती है 4 सुन्नत 4 फ़र्ज़ । यहाँ भी सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा

नमाज़े असर की चार सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त असर का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । ”

अल्लाहु-अकबर कहकर हम हाथ बाँध लेंगे ! फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे ! और जिस तरह ज़्रुहर की चार सुन्नत पढ़ी थी ! वैसे ही असर की चार सुन्नत रकअत पूरी करेंगे !

Note- असर की सुन्नत गैर ए मुअक्कदा है इसलिए असर की नमाज़ में 2 रकाअत मुकम्मल होने केबाद अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद दरूद ए इब्राहिम और दुआए मासुरा भी पढ़ेंगे ! या दुआए मासुरा याद ना होतो अल्लाहुम्मा रब्बना आतयना फ़िद्दुनिया हसनतउ- व फिल आख़िरति हसनतउ व कीना अजाबन्नार पढ़ेंगे ! फिर तीसरी रकाअत के लिए खड़े होंगे

असर की चार फ़र्ज़ पढ़ने का तरीका :-

 

नमाज़े असर की चार फ़र्ज़ की निय्यत” – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त असर का !पीछे इस इमाम के ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर ।

अल्लाहु-अकबर कहकर हम हाथ बाँध लेंगे ! फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे ! और जिस तरह ज़्रुहर की ! चार फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ी थी ! वैसे ही असर की चार फ़र्ज़ रकअत पूरी करेंगे।

Maghrib Ki Namaz Ka Tarika In Hindi

नमाज़े मग़रिब में 7 रकअत होती है ! 3 फ़र्ज़ । 2 सुन्नत। 2 नफ़्ल। यहाँ भी सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा ! मग़रिब की नमाज़ का वक़्त गुरुब आफताब का होता है ! मतलब जब सूरज डूब रहा हो। यहाँ आपको सबसे पहले फ़र्ज़ नमाज़ पढ़नी होगी

मग़रिब की 3 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े मग़रिब की तीन फ़र्ज़ की निय्यत” – नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की ! वास्ते अल्लाह तआला के !वक्त मग़रिब का ! पीछे इस इमाम के ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । ”

नियत करने के बाद जब इमाम साहब अल्लाहु-अकबर कहकर हाथ बाँध लें ! तो अल्लाहु-अकबर कहकर हम भी हाथ बाँध लेंगे ।

हाथ बांध लेने के बाद आपको मन ही मन में सना पढ़नी है ! फिर बिस्मिल्लाह शरीफ पढ़कर चुप होकर इमाम साहब जो भी पढ़े उसे दिल लगाकर सुन्ना है

इमाम साहब सुरह फातिहा पढ़ेंगे ! सुरह फातिहा के बाद कोई भी क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे ! और फिर रुकू होगा !सजदे होंगे ! और इस तरह 2 रकआत पूरी होने के बाद जब बैठते है ! तब अत्तहियात पढ़ ले ! और फिर तीसरे रक’आत पढ़ने के लिए उठ कर खड़े हो जाये !

इस रक’अत में भी सिर्फ खामोश रहना है ! और रुकू के बाद दो सज्दे कर के तशहुद में बैठें ! तशहुद उसी तरह पढ़े ! जैसे उपर सिखाया गया है ! और अत्ताहियात, दरूद शरीफ और दुआ ए मसुरा पढने के बाद सलाम फेर दें ! इस तरह आपकी मग़रिब की तीन रक’आत मुकम्मल हो जायेगी।

नोट – इमाम के पीछे हर रकाअत में हमें खामोश रहना है ! अकेले पढ़ेंगे तो पहली दो रकाअत तो दूसरी नमाज़ो जैसी ही पढ़ेंगे !और तीसरी नमाज़ में सिर्फ अल्हम्दु शरीफ़ ( सूरह फातिहा ) पढ़ेंगे !

मग़रिब की 2 सुन्नत नमाज़ पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े मग़रिब की दो सुन्नत की निय्यत”- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त मग़रिब का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर । “

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह फ़ज़्र ज़ुहरे में दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत पूरी करेंगे

मग़रिब की 2 नफ़्ल नमाज़ पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े मग़रिब की दो नफ़्ल की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ निफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त मग़रिब का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर । “

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह ज़ुहर की दो नफ़्ल पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत नफ़्ल पूरी करेंगे।

और इस तरह मग़रिब की 7 रकआत मुकम्मल होगी।

Isha Ki Namaz Ka Tarika In Hindi

नमाज़े इशा में 17 रकअत होती है 4 सुन्नत। 4 फ़र्ज़ । 2 सुन्नत। 2 नफ़्ल। 3 वित्र। 2 नफ़्ल। यहाँ भी सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा। इशा की नमाज़ का वक़्त रात का होता है

इशा की 4 सुन्नत नमाज़ पढ़ने का तरीका –

नमाज़े इशा की चार सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त इशा का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर । *

अल्लाहु-अकबर कहकर हम हाथ बाँध लेंगे । फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह असर की चार सुन्नत नमाज़ पढ़ी थी ! वैसे ही इशा की चार सुन्नत रकअत पूरी करेंगे।

Note- ईशा की शुरू की चार सुन्नत भी असर की तरह गैर ए मुअक्कदा है इसलिए 2 रकाअत मुकम्मल होने के बाद अत्तहिय्यात पढ़ने के बाद दरूद ए इब्राहिम और दुआए मासुरा भी पढ़ेंगे ! या दुआए मासुरा याद ना होतो अल्लाहुम्मा रब्बना आतयना फ़िद्दुनिया हसनतउ- व फिल आख़िरति हसनतउ व कीना अजाबन्नार पढ़ेंगे ! फिर तीसरी रकाअत के लिए खड़े होंगे !

इशा की 4 फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े इशा की चार फ़र्ज़ की निय्यत” – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ फ़र्ज़ की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त इशा का !पीछे इस इमाम के ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । “

फिर आपको इमाम साहब के पीछे वैसे पढ़नी है जैसे आपने ज़ुहर और असर में पढ़ी थी ! फर्क सिर्फ इतना रहेगा की इशा की चार फ़र्ज़ में शुरू की दो रकआत में इमाम साहब ऊँची आवाज़ में सुरह फातिहा और क़ुरान शरीफ की सूरत पढ़ेंगे ! फिर तीसरी और चौथी रकआत वैसे ही पढ़नी है ! जैसे ज़ुहर और असर की फ़र्ज़ पढ़ी थी।

नोट – अगर अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो पहली दो रकअत में सूरह फातिहा के बाद कोई भी सूरह पढ़ेंगे जो भी याद हो ! और बाद की दो रकाअत में सिर्फ सुरह फातिहा पढ़ेंगे !

फिर तशहुद उसी तरह पढ़े जैसे उपर की नमाज़ में सिखाया गया है ! और अत्ताहियात, दरूद शरीफ और दुआ ए मसुरा पढने के बाद इमाम साहब जब सलाम फेरे तब आप भी सलाम फेर दें ! इस तरह आपकी ईशा की चार रक’आत फ़र्ज़ मुकम्मल हो जायेगी।

नोट- याद रहे इमाम साहब के पीछे नमाज़ पढ़े ! तो कोई भी नमाज़ का अरकान इमाम साहब से पहले अदा ना करे

इशा की 2 सुन्नत नमाज़ पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े इशा की दो सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के !वक्त इशा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । “

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेंगे। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह फ़ज़्र या ज़ुहर में दो सुन्नत पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत पूरी करेंगे

इशा की 2 नफ़्ल नमाज़ पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े इशा की दो नफ़्ल की निय्यत”- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ निफ़्ल की ! वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त इशा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । “

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है। फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे। और जिस तरह ज़ुहर की दो नफ़्ल पढ़ी थी वैसे ही दो रकअत नफ़्ल पूरी करेंगे।

इशा की 3 वित्र वाजिब नमाज़ पढ़ने का तरीका –

नमाज़े इशा की तीन वित्र की निय्यत” – नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ वित्र वाजिब की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त इशा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । *

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है ! फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे ! और जिस तरह ज़ुहर की दो नफ़्ल पढ़ी थी ! वैसे ही दो रकअत पूरी करेंगे।

और तशह्हुद में अत्ताहियात पढ़ने के बाद अल्लाहु-अकबर कहते हुए खड़े हो जाना है ! खड़े होने के बाद सूरह फातिहा पढ़ेंगे ! और फिर क़ुरआन की कोई भी सूरह पढ़ेंगे ! उसके बाद अल्लाहु-अकबर कहते हुए दोनों हाथो को कान तक सीधे ले जाएंगे ! हाथ के अंगूठे कानो की निचली जगह को छूना चाहिए !

और फिर हाथ बांध लेंगे , हाथ बाँध लेने के बाद दुआ ए क़ुनूत (dua e qunut) पढ़ेंगे। अल्लाहु-अकबर कहकर रुकू करेंगे फिर सजदा और तशह्हुद दुसरी नमाज़ो की तरह ही करेंगे। अत्ताहियात,दरूद शरीफ और दुआ ए मसूरा और फिर सलाम फेर लेंगे।

इस तरह वित्र की नमाज़ पढ़ी जायेगी

इशा की 2 नफ़्ल नमाज़ पढ़ने का तरीका –

नमाज़े इशा की दो नफ़्ल की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ निफ़्ल की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त इशा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । ”

अल्लाहु-अकबर कहकर हमें हाथ बाँध लेना है ! फिर सबसे पहले हम सना पढ़ेंगे ! और जिस तरह पहले की दो नफ़्ल पढ़ी थी ! वैसे ही दो रकअत नफ़्ल पूरी करेंगे !

और इस तरह इशा की 17 रकआत नमाज़ मुकम्मल होगी।

हर नमाज़ के बाद अल्लाह की ये तस्बीह जरूर पढ़े
33 मर्तबा सुबहान अल्लाह*
33 मर्तबा अलहम्दु लिल्लाह*
34 मर्तबा अल्लाहु अकबर पढ़ें*

 

* नमाज़ में पढ़ी जाने वाली कुछ सूरतें

सुरे फातिहा:-
अलहम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन*! अर्रहमान निर्रहीम*मालिकी यौमेद्दीन*! इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन* इहदिनस सिरातल मुस्तकीम* ! सिरातल लजिना अन अमता अलैहिम*गैरिल मगदुबि अलैहिम वलद्वालीन*
सुरे इखलास:-
कुल हु अल्लाहु अहद* अल्लाहु समद*लम यलिद वलम युअलद* वलम या कुल्लहू कुफुअन अहद*
सुरे फ़लक:-
कुल आउजू बिरब्बिल फ़लक* मिन शर्रीमा खलक*मिन शर्री ग़ासिक़ीन इज़ा वक़ब* व मिन शर्री नफ्फासाती फिल उक़द* व मिन शर्री हासिदीन इज़ा हसद*
सुरे नास:-
कुल आउजू बिरब्बिन्नास* मलिकीन्नास* इलाहीन्नास* मिन शर्रिल वसवासील खन्नास* अल्लजी युवसविसू फी सुदुरीन्नास* मिनल जिन्नती वन्नास*

 

* सलाम फेरने के बाद की दुआएं
अल्लाहुम्मा अन्तस्सलामु व मिनकस्सलामु व इलैक यर जिउस सलाम * हय्यिना रब्बना बिस सलाम *व अदखिल्ना दारस सलाम *तबारक त रब्बना व त’आ लै त या जल जलाली वल इकराम * बि रहमति क या अर्हमर्राहीमीन *पढ़े
Jumma Ki Namaz Padhne Ka Sahi Tarika in Hindi

 

जुम्मा की नमाज़ पढ़ने का सही तरीका –इस्लाम में जुमे को ईद का दिन कहा गया है ! जुमे की नमाज़ सभी को लाज़मी पढ़ना चाहिए ! ज़ुमा की हर घडी कीमती होती है इस दिन हमें कसरत से दरूद शरीफ पढ़ना चाहिए ! और दुआ करना चाहिए ! ज़ुमा के दिन हम जो भी नमाज़ पढ़े उसमें वक़्त जुमे का ही कहलायेगा।

जुमे की दो रकअत फ़र्ज़ होती है और इस नमाज़ को हम ज़ुहर के वक़्त अदा करते है। मगर दिन जुमा होता है और ज़ुमा की नमाज़ अदा करनी होती है इसलिए वक़्त भी जुमे का कहलाता है

Jumma Ki Namaz Tarika in Hindi – जुमे की नमाज़ में 14 रकअत होती है ! 4 सुन्नत / 2 फ़र्ज़ / 4 सुन्नत/ 2 सुन्नत और 2 नफ़्ल ! आम दिनों में हम ज़ुहर के वक़्त 4 फ़र्ज़ की नियत करते है ! मगर जुमे के दिन 4 सुन्नत की नियत करेंगे ! 2 रकअत फ़र्ज़ इमाम साहब के पीछे पढ़ेंगे ! बाकी नमाज़ खुद पढ़ेंगे। नमाज़ पढ़ने का तरीका

यहाँ सिर्फ नियत बदल जायेगी मगर नमाज़ पढ़ने का तरीका वही रहेगा । बस नियत के अल्फ़ाज़ बदलेंगे जो इस तरह से होंगे

नमाज़े ज़ुमा की चार सुन्नत पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े ज़ुमा की चार सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुमा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर । “

नमाज़े ज़ुमा की दो फ़र्ज़ पढ़ने का तरीका –

नमाज़े जुमा के दो फर्ज की नियत:- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ फर्ज की ! वास्ते अल्लाह तआला के वक्त जुमा का ( पीछे इस इमाम के ) ! मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहुअकबर ।

नमाज़े ज़ुमा की चार सुन्नत पढ़ने का तरीका –

नमाजे ज़ुमा की चार सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त ज़ुमा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर ।

नमाज़े ज़ुमा की दो सुन्नत पढ़ने का तरीका –

नमाज़े ज़ुमा की दो सुन्नत की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ सुन्नत की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त ज़ुमा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर ।

नमाज़े ज़ुमा की दो नफ़्ल पढ़ने का तरीका –

 

नमाज़े ज़ुमा की दो नफ़्ल की निय्यत” – नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुमा का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर ।

Eid Ki Namaz Ka Tarika in Hindi

 

ईद की नमाज़ पढ़ने का तरीका – Eid Ki Namaz Ka Sahi Tarika in Hindi

 

नमाज़े ईद के दो वाजिब की नियत:- नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ वाजिब ईदुल फ़ित्र या ईदुल अज़्हा की ! मय ज़ाइद 6 तकबीरो के ! वास्ते अल्लाह तआला ! ( पीछे इस इमाम के ) मुंह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहुअकबर

ईद की नमाज़ का पूरा तरीका इमाम साहब मस्जिद में बताते है ! फिर भी कोई सवाल हो तो आप कमेंट कर सकते है हम पोस्ट अपडेट कर देंगे !

मर्द और औरत की नमाज़ का फ़र्क़ – Namaz Ka Tarika in Hindi

मर्द और औरत मर्द औरतों की नमाज़ में चंद बातों का फर्क है! औरत तकबीरे तहरीमा के वक्त हाथ कांधों तक उठाएगी ! और कपड़े से बाहर ना निकालेगी कयाम में सीने पर हाथ बांधेगी ! और हथेली की पुस्त पर हथेली रखेगी रुकू में कम झुकेगी और घुटनों को झुकाएगी ! हाथ घुटनों पर रखेगी मगर उनको पकड़ेगी नहीं !

और उंगलियां फैलाकर नहीं रखेगी ! रुकू व सुजूद सिमटकर करेगी सजदे में पेट रान से और रान पिण्डली से मिलाएगी और हाथ जमीन पर बिछाएगी ! अत्तहियात में बैठते वक्त दोनों पांव दाहिनी तरफ या बाएं तरफ निकाल कर सुरीन पर बैठेगी ! उंगलियां मिलाकर रखेगी !

नमाज़ के आदाब ;-
01 पेरो में पैजामे या पेन्ट की मोहरी मुड़ी हुई ना हो
02 हाथो में शर्ट की आस्तीनें मुड़ी हुई ना हो
03 शर्ट के बटन इतने खुले हुए ना हो की छाती नज़र आये
04 कोशिश करे नमाज़ के कपडे अलग ही रखे जो साफ़ सुथरे हो
05 दौराने नमाज़ बिलकुल हिले डुले नहीं
06 इधर उधर ध्यान नहीं भटकावे
07 मोबाइल पहले से बंद कर देवे
08 सर ढका हुआ हो रुमाल या टोपी से सर ढके तो पेशानी नज़र आना चाहिए
09 हाथो में अंगुठी या कडा नहीं पहना हो ! सिर्फ सीधे हाथ में एक चांदी की अंगूंठी के अलावा कुछ भी पहना हो उतार दे

 

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